हम सांस ले रहे है,
इस जान की बदौलत,
और जान जिस्म में है,
श्री राम की बदौलत
हम सांस ले रहे हैं,
इस जान की बदौलत।।
श्री राम नाम जप के,
लंका से जीत आए,
हनुमान सिद्धि पा गए,
हरि नाम की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं,
इस जान की बदौलत।।
कुछ पुण्य हो रहा है जो,
सूरज निकल रहा है,
धरती थमी है सदियों से,
इंसान की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं,
इस जान की बदौलत।।
‘फणि’ गर्व हो रहा है,
विज्ञान की बदौलत,
विज्ञान का वजूद है,
भगवान की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं,
इस जान की बदौलत।।
मेरे लिए अतिथि,
भगवान के बराबर,
सर करते है न्यौछावर,
मेहमान के बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं,
इस जान की बदौलत।।
लब पे हंसी नहीं तो,
जीना भी है क्या जीना,
पहचान है जहाँ में,
मुस्कान की बदौलत,
हम सांस ले रहे हैं,
इस जान की बदौलत।।
हम सांस ले रहे है,
इस जान की बदौलत,
और जान जिस्म में है,
श्री राम की बदौलत
हम सांस ले रहे हैं,
इस जान की बदौलत।।
स्वर – धीरज कांत जी।
बहुत शानदार कलेक्शन भजन का आपके ऊपर हमें उपलब्ध होता है बहुत सरल तार से सहजता से हमने भजनों का अनुसरण अपने ही मोबाइल में करते हैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद निवेदन है आगामी श्री राकेश तिवारी जी के भजनों का कलेक्शन श्री नरेंद्र चंचल जी के भजनों का कलेक्शन भी आपस में सम्मिलित करें
ji bilkul, aapka bhi dhanywad.
Good song