हम श्याम दीवाने है,
ये शान से कहते है,
दिन रात साँवरे की,
मस्ती में ही रहते है।।
तर्ज – रातों को उठ उठ कर।
मिल जाये कोई प्रेमी,
ना हैलो ना हाय,
बाबा का नाम लेके,
जय श्याम जी कहते है,
दिन रात साँवरे की,
मस्ती में ही रहते है।।
जब संग सांवरा है,
किस बात की चिंता है,
खुशियाँ और गम सारे,
हँसते हुए सहते है,
दिन रात साँवरे की,
मस्ती में ही रहते है।।
कोई पूछे पता हमसे,
क्या ठोर ठिकाना है,
हम अपने साँवरे के,
चरणों में ही रहते है,
दिन रात साँवरे की,
मस्ती में ही रहते है।।
मेरी जीवन नैया का,
है श्याम खिवैया तू,
जब डूबे सब दुनिया,
हम शान से बहते है,
दिन रात साँवरे की,
मस्ती में ही रहते है।।
क्या लेना है दुनिया से,
सब शोर शराबा है,
‘मीतू के भजनों में,
हम खोए रहते है,
दिन रात साँवरे की,
मस्ती में ही रहते है।।
हम श्याम दीवाने है,
ये शान से कहते है,
दिन रात साँवरे की,
मस्ती में ही रहते है।।
– लेखक एवं गायक –
अमित कालरा ‘मीतू’
– भजन प्रेषक –
प्रदीप सिंघल (‘जीन्द’ वाले)