हम तो हर मावस आते,
तेरे अस्नान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में।।
जब जब स्नान तुम्हारा आता,
खाटू धाम आ जाते-२.
श्याम स्नान का अमृत जल हम,
अपने घर को लाते-२,
इस जल को धारण करते,
जब पीड़ा होवे प्राण में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में।।
हर मावस और ग्रहण के अवसर,
होता स्नान तुम्हारा-२,
मंदिर प्रांगण में खड़े होकर,
देते हम जयकारा-२,
भजन सुनाए मिलकर सारे,
तेरे सम्मान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में।।
अटल स्नान है आपके बाबा,
सारा जग बतलाता-२,
इनको कोई बदल न सकता,
तुम ही तो हो विधाता-२,
झंडा लहराये तेरा,
सारे जहान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में।।
जन्म हुआ जब “राधेश्याम”का,
नहलावे दादी दाई-२,
शादी में अस्नान कराया,
फिर नहाया गंगा मांई-२,
अंतिम अस्नान हो जब,
तुम आना मेरे मकान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में।।
हम तो हर मावस आते,
तेरे अस्नान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में,
तुम भी आ जाना बाबा,
अंतिम प्रस्थान में।।
भजन रचयिता -राधेश्याम जी वत्स।
( नांगलोई दिल्ली) 9968876415
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