हमको तुम्हारी सांवरे,
बड़ी याद आ रही,
ना जाने कितनी सांवरे,
ना जाने कितनी सांवरे,
हमको सता रही,
हमको तुम्हारी साँवरे,
बड़ी याद आ रही।।
ग्यारस का अब तो सांवरे,
करता हूँ इंतजार,
तुमसे मिलन को सांवरे,
रहता हूँ बेकरार,
कबसे निगाहें याद में,
कबसे निगाहें याद में,
आँसू बहा रही
हमको तुम्हारी साँवरे,
बड़ी याद आ रही।।
हटती नज़र ना आपसे,
ऐसे हो जादूगर,
इतना ही तो हम सोचते,
कुछ बोल दे हुज़ूर,
अब ये जुदाई सांवरे,
अब ये जुदाई सांवरे,
हमको सता रही
हमको तुम्हारी साँवरे,
बड़ी याद आ रही।।
काटे कटे ना दिन प्रभु,
कब आपसे मिले,
कब आपको प्रभु यूँ ही,
हम देखते रहे,
ये दूरियाँ प्रभु हमे,
ये दूरियाँ प्रभु हमे,
अब तो जला रही
हमको तुम्हारी साँवरे,
बड़ी याद आ रही।।
इतनी अरज करें प्रभु,
बस सामने रहो,
चौखट से अपनी सांवरे,
कभी दुर ना करो,
इतनी ही ‘निखिल’ आपसे,
इतनी ही ‘निखिल’ आपसे,
विनती है अब रही,
हमको तुम्हारी साँवरे,
बड़ी याद आ रही।।
हमको तुम्हारी सांवरे,
बड़ी याद आ रही,
ना जाने कितनी सांवरे,
ना जाने कितनी सांवरे,
हमको सता रही,
हमको तुम्हारी साँवरे,
बड़ी याद आ रही।।
सवर – हितेश अग्रवाल।