हुई जब भी मेरी,
जग में हंसाई,
जग में हंसाई,
मुझे तू कभी भी,
दिया ना दिखाई,
दिया ना दिखाई,
हुईं जब भी मेरी,
जग में हंसाई।।
तर्ज – मोहब्बत की झूठी कहानी।
न कहता न सुनता,
न मिलता न दिखता,
बता कब मिलेगा,
खत भी न लिखता,
फिर भी मैं तेरी,
करूं ना बुराई,
करूं ना बुराई,
हुईं जब भी मेरी,
जग में हंसाई।।
अब तुम छुपो ना,
कुछ तो कहो ना,
दूर इस तरह से,
मुझसे रहो ना,
कैसे यूं तुमसे,
रहे आशनाई,
रहे आशनाई,
हुईं जब भी मेरी,
जग में हंसाई।।
तमन्ना है दिल की,
संग में रहो तुम,
तुम बिन सांवरिया,
रहता हूं गुमशुम,
यूं याद रे तेरी,
‘जालान’ को आई,
‘जालान’ को आई,
हुईं जब भी मेरी,
जग में हंसाई।।
हुई जब भी मेरी,
जग में हंसाई,
जग में हंसाई,
मुझे तू कभी भी,
दिया ना दिखाई,
दिया ना दिखाई,
हुईं जब भी मेरी,
जग में हंसाई।।
गायक – विनोद पनिहार जी।
लेखक / प्रेषक – पवन जालान जी।
94160-59499 भिवानी (हरियाणा)
कृपया डा श्याम सुन्दर पाराशर जी का भजन लिरिक दिखाईये धन्यवाद