इबके फागुन श्याम के दर पे,
जाना ही जाना,
दर्शन खाटू वाले श्याम धनी का,
पाना ही पाना,
दर पे जाना ही जाना,
दर्शन पाना ही पाना,
दर्शन खाटू वाले श्याम धनी का,
पाना ही पाना।।
कोई पैदल कोई पेट पलनिया,
खाटू जावे है,
भगता की टोली के संग मे,
नाचे गावे है,
श्याम निशान के संग मे,
पैदल जाना ही जाना,
दर्शन खाटू वाले श्याम धनी का,
पाना ही पाना।।
रंग बिरंगे फूलों से,
दरबार सजाया है,
रंग रंगीला श्याम धनी का,
मेला आया है,
रंग गुलाल यो श्याम के मुख पे,
लाना ही लाना,
दर्शन खाटू वाले श्याम धनी का,
पाना ही पाना।।
सारे जग मे खाटू की,
होली की चर्चा है,
हाथो हाथ यो सेठ सांवरा,
देता पर्चा है,
श्याम कुण्ड में ‘आशीष’,
डुबकी लाना ही लाना,
दर्शन खाटू वाले श्याम धनी का,
पाना ही पाना।।
इबके फागुन श्याम के दर पे,
जाना ही जाना,
दर्शन खाटू वाले श्याम धनी का,
पाना ही पाना,
दर पे जाना ही जाना,
दर्शन पाना ही पाना,
दर्शन खाटू वाले श्याम धनी का,
पाना ही पाना।।
गायक – धर्म सिंहमार।
लेखक / प्रेषक – आशीष सिंहमार।
9315379606
https://youtu.be/gpWWrvOrv6w