इलाही नाम का सौदा,
कमा ले जिस का जी चाहे।।
छोड़ सब दुनिया का धंधा,
तेरा दिल हो रहा गंधा,
लगा हरि नाम का साबुन,
धुला ले जिसका जी चाहे,
इल्लाही नाम का सौदा,
कमा ले जिस का जी चाहे।।
होय जब पाक दिल तेरा,
मिले सतगुरु तुझे रेजवा,
रंगे फिर आप रंग तुझको,
रंगा ले जिस का जी चाहे,
इल्लाही नाम का सौदा,
कमा ले जिस का जी चाहे।।
लगे जब ज्ञान रंग पक्का,
न जा फिर द्वारिका मक्का,
दिलों में दिलवर का दर्शन,
करा ले जिस का जी चाहे,
इल्लाही नाम का सौदा,
कमा ले जिस का जी चाहे।।
लखो सब घट घट में वोई,
तेरा निज रूप है सोई,
‘अचलराम’ दुई का पड़दा,
हटा ले जिसका जी चाहे,
इल्लाही नाम का सौदा,
कमा ले जिस का जी चाहे।।
इलाही नाम का सौदा,
कमा ले जिस का जी चाहे।।
गायक – राधेश्याम शर्मा।
रचना – स्वामी अचलराम जी महाराज।
प्रेषक – सांवरिया निवाई।
मो. – 7014827014