इंद्र राजा म्हारी अर्ज सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
ज्येठ महीने पवन घणो गाजे जी,
पड़े रे तावड़ो भोम तपे रे,
सात सायरियो रा नीर सुखोना जी,
नव खंड में झनकार पड़े रे,
इंद्र राजा म्हारी अर्जी सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
आषाढ़ महीने अलख धारी आया जी,
कृषा हुया उबा खरे मते रे,
धोरे धोरे मोट बाजरी जी,
गेले गेले ज्वार खडेे रे,
इंद्र राजा म्हारी अर्जी सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
सावन महीना में घेरो घेरो गाजे जी,
सूखा सरवर फेर भरे रे,
दादुर मोर पपैय्या बोले जी,
आठो पोर आवाज करे रे,
इंद्र राजा म्हारी अर्जी सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
भाद्रवे में घनी कर आवो जी,
मूसलाधार मेह बरसे रे,
नदी नाला बेडा बेर सगुना जी,
गाया ऊबी हरियो घास चरे रे,
इंद्र राजा म्हारी अर्जी सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
आषोज महीने पीरा अम्रत मेहुडा हो जी,
अमी रे फुआरो री चाट पडे रे,
सीप रे सायरीयो मे मोतीडा नीपजे हो जी,
समुन्द्र जाये सगाल करे रे,
इंद्र राजा म्हारी अर्जी सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
काती रे महीने पीरा लोह लावनी हो जी,
अरे आये शतक उपर हाथ धरे रे,
अन धन हुआ पीरजी सौगना हो जी,
कण सु म्हारा कोठार भरे रे,
इंद्र राजा म्हारी अर्जी सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
हरजी आज रामा पीर पधारिया जी,
लीले चढने बाबो हिस करे रे,
हरी शरणे भाटी हरजी यू बोले जी,
भव तपीया भगवान मिले रे,
इंद्र राजा म्हारी अर्जी सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
इंद्र राजा म्हारी अर्ज सांभलो जी,
आप आया सबरा काज सरे रे,
गाया वाली बेल पधारो पीर रामा जी।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
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