इन्द्रप्रस्थ महल बनायो,
म्हारा विश्वकर्मा जी भगवान,
विष्णु रे अवतार सु बनिया,
विश्वकर्मा महाराज जी।।
इलाहचल पर्वत आप वीराजो,
म्हारा विश्वकर्मा भगवान,
दुनिया तो दर्शन ने आवे,
दर्शन दिखलाओ जी,
विष्णु रे अवतार सु बनिया,
विश्वकर्मा महाराज जी।।
घऱ में सुख-संपति राखो,
भर देवो भंडार जी,
मैं तो मिलकर दरबार आया,
बोलू जय जयकार जी,
विष्णु रे अवतार सु बनिया,
विश्वकर्मा महाराज जी।।
सुथार समाज रो मान बढायो,
दिन और रात जी,
म्हारे पर कृपा यु राखो,
कला करो बख्शीश जी,
विष्णु रे अवतार सु बनिया,
विश्वकर्मा महाराज जी।।
‘पुनीत राजपुरोहित’ आपरौ,
भजन बणायो जी,
‘सुरेश जांगिड़’ चरणों रो चाकर,
गुण थारा गाऊँ जी,
विष्णु रे अवतार सु बनिया,
विश्वकर्मा महाराज जी।।
इन्द्रप्रस्थ महल बनायो,
म्हारा विश्वकर्मा जी भगवान,
विष्णु रे अवतार सु बनिया,
विश्वकर्मा महाराज जी।।
प्रेषक/ लेखक – पुनीत राजपुरोहित।
गायक – सुरेश जांगिड़ बाड़मेर।
मो. 7073648651
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