इस ज़माने में कलेजा तक,
हिला देते हैं लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग,
मुर्दा भी काँप उठे,
जिन्दा जला देते है लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग।।
तर्ज – जब भी जी चाहे नई।
पैसे बिन प्यार कहाँ,
पैसे बिन यार कहाँ,
गैर तो गैर है अपनों,
का एतबार कहाँ,
ऐसा है आज चलन,
मेरे प्रभु तुमको नमन,
बैठकर दिल में राज दिल का,
चूरा लेते हैं लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग।।
माँ तो एक माँ होती है,
माँ तो आँखों की ज्योति है,
उनसे पूछो जिनकी नही,
देखो एक माँ होती है,
ऐसी ममता मयी माता का,
दिल दुखा देते हैं लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग।।
पैसा है यार यहाँ,
वर्ना बेकार जहाँ,
पैसो के खातिर जग में,
इंसा लाचार यहाँ,
पैसो के खातिर घर की,
लक्ष्मी जला देते हैं लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग।।
पैसा भगवान बना,
फिर ये हैवान बना,
पहले इंसान बना,
फिर ये शैतान बना,
पैसो के खातिर अपनों को,
दगा देते है लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग।।
पैसा का आना बुरा,
पैसे का जाना बुरा,
पैसा प्यारा लगता,
चाहे खोटा या खरा,
पैसो के खातिर अपनों को,
मिटा देते हैं लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग।।
इस ज़माने में कलेजा तक,
हिला देते हैं लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग,
मुर्दा भी काँप उठे,
जिन्दा जला देते है लोग,
सगे भाई को जहर हँसकर,
पिला देते हैं लोग।।
bahut achchha weldone
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