इतना बता दे हमको सांवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है,
पैसों की खातिर एक भाई,
भाई से ही रूठता है,
इतना बता दे हमको साँवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है।।
तर्ज – कसमें वादे प्यार वफा।
बचपन में क्या प्यार था इनमें,
एक दूजे पे मरते थे,
माँ मेरी है बाप है मेरा,
बस इस बात पे लड़ते थे,
अब पैसों के आगे इनको,
और कोई ना भाता है,
इतना बता दे हमको साँवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है।।
भाई बहन के प्यार की जग मे,
लोग मिसालें देते थे,
द्रोपदी और कान्हा के जैसा,
रिश्ता है ये कहते थे,
अब राखी के दिन ही हमको,
याद ये रिश्ता आता है,
इतना बता दे हमको साँवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है।।
रिश्तों से बढ़ कर के है क्या,
पैसा कोई बतलाये,
इन पैसों से एक तो सच्चा,
प्यार खरीद के दिखलाये,
फिर पैसो के बल पे इतना,
क्यों कोई इतराता है,
इतना बता दे हमको साँवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है।।
विनती है ” Sanjay ” की तुझसे,
कुछ तो ऐसा कर जाओ,
जुड़ जाए परिवार ये फिर से,
ऐसा प्यार जगा जाओ,
देख के ऐसा हाल प्रभु मेरा,
दिल ये हर पल रोता है,
इतना बता दे हमको साँवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है।।
इतना बता दे हमको सांवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है,
पैसों की खातिर एक भाई,
भाई से ही रूठता है,
इतना बता दे हमको साँवरा,
क्यूं परिवार ये टूटता है।।
Writer & Singer : Sanjay Agrawal
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Send By : Pardeep Singhal ( Jind Wale )
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