दौलत से कोई खेलें,
कहीं रोटियों के लाले,
इतना फर्क क्यों डाले,
ओ मेरे खाटू वाले।।
तर्ज – कभी गम से दिल।
जिस पर निगाह तेरी,
वह मौज कर रहा है,
तेरी दया से छप्पन,
वो भोग कर रहा है,
उन पर भी नजर कर दें,
जिन पर नहीं निवाले,
इतना फरक क्यों डाले,
ओ मेरे खाटू वाले।।
कहीं सोना चांदी हीरे,
मोती कहीं खजाना,
कोई तरस रहा है,
खाने को एक दाना
उनकी भी किस्मतों के,
अब खोल दे तू ताले,
इतना फरक क्यों डाले,
ओ मेरे खाटू वाले।।
कलयुग का देवता तू,
है हारे का सहारा,
‘विक्की’ शरण में आया,
प्रभु उसको क्यूं बिसारा,
माँ से किया जो वादा,
वो वादा तू निभाले,
इतना फरक क्यों डाले,
ओ मेरे खाटू वाले।।
दौलत से कोई खेलें,
कहीं रोटियों के लाले,
इतना फर्क क्यों डाले,
ओ मेरे खाटू वाले।।
Singer – Vikas Agarwal
Vicky Kanpur wale
6394332715