इतरो अभिमान बन्दा क्या रो करे,
दोहा – राम नाम की झुपड़ी,
पापी के दस गाँव,
आग लगो उण गाँव में,
जहाँ नहीं हैं राम को नाम।
बन्दा चला जब शहर को,
मन में बड़े अरमान थे,
एक तरफ थी झाड़ियां,
एक तरफ श्मशान थे।
जब ठोकर लगी हड्डी की,
वो उनके बयान थे,
अकड़ कर मत चल बन्दे,
हम भी कभी इंसान थे।
भे माता में सांसो पड़ियो,
ढांढ़े री जगह मिनख घड़ियों,
लगाणा था सींग और पूँछ,
लगा दी दाढ़ी और मूँछ।
इतरो अभिमान बन्दा क्या रो करे,
इतरो गुमान बन्दा क्यारो करे,
जिवडा क्यारो करे रे,
करले तू जतन हजार,
आखिर एक दिन जाणो पड़े।।
हुया बड़ा बड़ा भूप,
बातां भूढिया करे,
बातां भूढिया करे रे,
पड़ा रिया धनुष कबाण,
जगह पर गायां घास चरे,
इतरो अभिमान बंदा क्या रो करे।।
दौड़े दिन रात लोभ,
अणुतो करे रे,
लोभ अणुतो करे रे,
होवेला थूं बम्बी वाळो रे सांप,
धरती पर पड़ियो लिकटिया करे,
इतरो अभिमान बंदा क्या रो करे।।
करयोड़ी कमाई खोटी,
आडी तो फिरे रे,
थारे आडी तो फिरे,
लेवे कोनी रामजी रो नाम,
सत्संग में बैठो बाता करे,
इतरो अभिमान बंदा क्या रो करे।।
रामजी रो नाम थोड़ो,
हिरदे में धरे,
थोड़ो हिरदे में धरे रे,
दास भगत रट राम,
साँवरियों बेड़ा पार करे,
इतरो अभिमान बंदा क्या रो करे।।
इतरो अभिमान बंदा क्या रो करे,
इतरो गुमान बन्दा क्यारो करे,
जिवडा क्यारो करे रे,
करले तू जतन हजार,
आखिर एक दिन जाणो पड़े।।
स्वर – सुनीता जी स्वामी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
अच्छा