जाति से हम बिश्नोई है,
जान लुटा दे जीवों पर,
जो ऐसा न जग में कोई है,
है पर्यावरण के हम रक्षक,
जाति से हम बिश्नोई हैं।।
हाथ जोड़ कर बात बताऊं,
सुन लो ऐक सच्चाई को,
झूठी दुनिया बात बनाई,
काई दोश बिश्नोई को,
हम लड़ते आए लड़ते रहेंगे,
पर्यावरण बचाने को,
है पर्यावरण के हम रक्षक,
जाति से हम बिश्नोई हैं।।
जीव कोई अनाथ हो गए,
हम उनको गले लगाते है,
पाल पोस बड़ा करें,
अपनों सा लाड लडाते है,
हम जम्भ भक्त के होते,
जीव की दुर्गति ना होई है,
है पर्यावरण के हम रक्षक,
जाति से हम बिश्नोई हैं।।
सोलर कंपनी ऐसी आई,
धरती को बंजड बनाती है,
सबक सिखाओ उस कंपनी को,
समय थोड़ा बाकी है,
आओ मिलकर रूख बचाए,
हम सब की जिम्मेदारी है,
है पर्यावरण के हम रक्षक,
जाति से हम बिश्नोई हैं।।
जीव मारना रूख काटना,
बर्दाश्त नहीं बिश्नोई को,
अशोक पंडित गाय सुनावें,
समराथल वालों सांचों है,
एक हों जाओ रुख बचाओ,
उसमें ही भलाई है,
है पर्यावरण के हम रक्षक,
जाति से हम बिश्नोई हैं।।
जान लुटा दे जीवों पर,
जो ऐसा न जग में कोई है,
है पर्यावरण के हम रक्षक,
जाति से हम बिश्नोई है।।
गायक / लेखक – अशोक पंडित फींच।
9166382292