जब चिंता कोई सताए,
तो भजन करो,
जब व्याकुल मन घबराए,
तो भजन करो,
जब चिंता कोईं सताए,
तो भजन करो।।
भूल भुलैया सकल जगत है,
हर एक प्राणी फिरत भटकत है,
कोई राह नज़र ना आए,
तो भजन करो,
जब चिंता कोईं सताए,
तो भजन करो।।
सुख आनंद की बेला में,
कोई सुमिरण करता नही,
पर करना चाहिए,
करना चाहिए,
करना चाहिए,
स्वारथवश छल कपट झूठ से,
कोई भी डरता नही है,
पर डरना चाहिए,
पर डरना चाहिए,
डरना चाहिए,
लगे दाग मन की चादर पर,
धोलो नाम का साबुन घसकर,
छिपे ना लाख छिपाए,
तो भजन करो,
जब चिंता कोईं सताए,
तो भजन करो।।
मेरा मेरा किया उमर भर,
कुछ भी नही है तेरा,
सब यही पे छूटे,
यही पे छूटे, यही पे छूटे,
नाम के सच्चे मोती चुनले,
बाँध ले अपने पल्ले,
कोई ठगे ना लूटे,
कोई ठगे ना लूटे,
तू ही तू की मौज अलग है,
पर तूने सोचा ये कब है,
मैं से फुरसत मिल जाए,
तो भजन करो,
जब चिंता कोईं सताए,
तो भजन करो।।
श्याम भजन में हो के मगन,
और मन में फकीरी ठानो,
श्याम को बिसरो ना पल भी,
बिसरो ना पल भी,
बिसरो ना पल भी,
अपने सुख दूजो की झोली,
पीर पराई जानो फिर,
आज भी कल भी,
आज भी कल भी,
भेद भजन का ‘सरल’ ने जाना,
आप गवां के श्याम को पाना,
गर बात समझ में आए,
तो भजन करो,
जब चिंता कोईं सताए,
तो भजन करो।।
जब चिंता कोई सताए,
तो भजन करो,
जब व्याकुल मन घबराए,
तो भजन करो,
जब चिंता कोईं सताए,
तो भजन करो।।
स्वर – श्री लखबीर सिंह लख्खा जी।