जब दिल तेरा घबराए,
खाटु में चले आना,
जब वक्त सितम ढाए,
खाटु में चले आना,
जब दिल तेरा घबराए,
खाटु में चले आना।।
तर्ज – फरियाद मेरी सुनकर।
इक हो या हजारो हो,
दुःख यहाँ पे टलते है,
अरमा सारे दिल के,
इक पल में निकलते है,
ठोकर जिसने खाई,
वो यहाँ सम्भलते है,
जब कुछ ना समझ आए,
खाटु में चले आना,
जब दिल तेरा घबराये,
खाटु में चले आना।।
भव-सागर से निकलो,
कश्ती का किनारा है,
अनुभव जो किया मैंने,
ये उसका इशारा है,
ये देगा साथ तेरा,
हारे का सहारा है,
जब काम न कोई आए,
खाटु में चले आना,
जब दिल तेरा घबराये,
खाटु में चले आना।।
मैं करता प्रतीक्षा हूँ,
मानो या ना मानो,
मैं जान गया सबकुछ,
तुम जानो या ना जानो,
मैं क्या हूँ मुझको तुम,
आकर यहाँ पहचानो,
जब पास न कोई आए,
खाटु में चले आना,
जब दिल तेरा घबराये,
खाटु में चले आना।।
गफलत में जो खोए है,
वही आहे भरते है,
खाटु आकर मुझसे,
मुलाकात जो करते है,
दीवाने मेरे जग में,
नहीं किसी से डरते है,
बेधड़क यही गाए,
खाटु में चले आना,
जब दिल तेरा घबराये,
खाटु में चले आना।।
जब दिल तेरा घबराए,
खाटु में चले आना,
जब वक्त सितम ढाए,
खाटु में चले आना,
जब दिल तेरा घबराए,
खाटु में चले आना।।