जब जब देखूं दादी तुमको,
आता है ये ख्याल क्यों,
नजरे उतार दूँ नजरे उतार दूँ।।
भोला भाला चाँद सा मुखड़ा,
देख दीवाना हो जाऊं,
नजरे नहीं हटती तुम पर से,
दिल करता देखे जाऊं,
मन करता नैनो के रस्ते,
दिल में तुझे उतार लूँ,
नजरे उतार दू नजरे उतार दू,
नजरे उतार दूँ नजरे उतार दूँ।।
तेरे रूप के आगे फीके,
लगते सभी नजारे है,
सुंदरता में तुमसे हारे,
सारे चाँद सितारे है,
दिल ही नहीं भरता चाहे,
मैं सो सो बार निहार लूँ,
नजरे उतार दूँ नजरे उतार दूँ।।
कहते है अपनों की नजर ही,
सब से पहली लगती है,
नजर न लागे मेरी मैया,
शंका दिल में रहती है,
जतन करूँ क्या इस शंका का,
बतलादे एक बार तू,
नजरे उतार दूँ नजरे उतार दूँ।।
हिरा मोती सोना चांदी,
मैया मेरे पास नहीं,
कैसे नजर उतारूँ तेरी,
‘सोनू’ की औकात नहीं,
अगर कहे तो तन मन अपना,
तेरे ऊपर वार दूँ,
नजरे उतार दूँ नजरे उतार दूँ।।
जब जब देखूं दादी तुमको,
आता है ये ख्याल क्यों,
नजरे उतार दूँ नजरे उतार दूँ।।
स्वर – सौरभ मधुकर जी।