जब जीवन दुख से घिर जाए,
कोई बात समझ में ना आए,
तुम करके भरोसा परम पिता का,
राम शरण में आ जाना,
तुम राम शरण में आ जाना।।
मानव जीवन में आकर के,
कुछ ऐसे भी क्षण आते है,
जहाँ ज्ञान विज्ञान तो क्या,
विद्वान फैल हो जाते है,
विज्ञान से बढ़के है ईश्वर,
तुम उनपे भरोसा कर जाना,
तुम करके भरोसा परम पिता का,
राम शरण में आ जाना,
तुम राम शरण में आ जाना।।
हर रूप में माया बैठी है,
उसकी पहचान पुरानी है,
ज्ञानी ध्यानी क्या जाने,
अज्ञानी तो अज्ञानी है,
वो बहुत ही रास रचाती है,
उसके फेरे में मत पड़ना,
तुम करके भरोसा परम पिता का,
राम शरण में आ जाना,
तुम राम शरण में आ जाना।।
जब जीवन दुख से घिर जाए,
कोई बात समझ में ना आए,
तुम करके भरोसा परम पिता का,
राम शरण में आ जाना,
तुम राम शरण में आ जाना।।
स्वर – धीरज कांत जी।