जब कोई ना संभाले,
संभालता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता,
निकालता है श्याम।।
ऐसा कोई काम नही है,
श्यामधनी मेरा कर नही सकता,
ऐसा दामन बना नही है,
श्यामधनी जिसे भर नही सकता,
हो चाहे जैसी किस्मत,
सँवारता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता,
निकालता है श्याम।।
थोड़ा वक़्त गुजर जाने दे,
देवो का सरताज बनेगा,
जो न माने इसकी हुकूमत,
दर दर का मोहताज बनेगा,
जन्म जन्म का रास्ता,
सुधारता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता,
निकालता है श्याम।।
मन्दिर के पत्थर पत्थर पर,
लिखा हुआ हारे का सहारा,
मन्दिर बहुत बनेंगे लेकिन,
बने न मन्दिर ऐसा दौबारा,
खुद मन्दिर की नजर,
उतारता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता,
निकालता है श्याम।।
‘बनवारी’ इसकी भक्ति से,
विपदा सारी पल में टलेगी,
श्याम नाम का मंत्र सुनादे,
नैया अपने आप चलेगी,
जादूगारी मोरछडी,
संभालता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता,
निकालता है श्याम।।
जब कोई ना संभाले,
संभालता है श्याम,
कोई ना कोई रास्ता,
निकालता है श्याम।।
गायक – जयशंकर जी चौधरी।
प्रेषक – पंडित राजेश शर्मा।
8810409377