जब से खाटू आया,
खाटू वाला बना मेरा,
अपने ना बने अपने,
अपने ना बने अपने,
इसने पकड़ा हाथ मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा।।
मुफ़लिस में जो सोचा था,
ये ना मिल पाएगा कभी,
मैं सोच के भूल गया,
इसने लिख ही लिया था तभी,
मेरी सोच बदल करके,
सपना किया पूरा मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा।।
कभी खुद को मैं देखता हूँ,
कभी देखूं दानी को,
निज हाथों से पोंछा,
मेरी अखियों के पानी को,
अखियां अब भी बरसे,
पर बदला भाव मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा।।
सर उठा के जो जीना है,
दुनिया में अगर प्यारे,
खाटू जाकर देखो,
होंगे वारे न्यारे,
फिर सबको कहोगे तुम,
परिवार है ये मेरा,
Bhajan Diary,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा।।
जब से खाटू आया,
खाटू वाला बना मेरा,
अपने ना बने अपने,
अपने ना बने अपने,
इसने पकड़ा हाथ मेरा,
जब से खाटु आया,
खाटू वाला बना मेरा।।
स्वर – संजय मित्तल जी।