जबसे मैं श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ,
बिन मांगे इस जहाँ की,
बिन मांगे इस जहाँ की,
हर चीज पा रहा हूँ,
जबसे मै श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ।।
दर दर भटक रहा था,
कोई ना था सहारा,
ठुकरा दिया था जग ने,
तब हाथ तूने थामा,
उंगली पकड़ के तेरी,
उंगली पकड़ के तेरी,
बढ़ता ही जा रहा हूँ,
जबसे मै श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ।।
इतना दिया है तूने,
अब ना कोई कमी है,
चरणों में है मेरा सर,
और आँखों में नमी है,
ना चूका सकूंगा फिर भी,
ना चूका सकूंगा फिर भी,
लेता ही जा रहा हूँ,
जबसे मै श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ।।
कोई साथ हो या ना हो,
तुम साथ मेरे रहना,
तुमने सिखाया मुझको,
हर दुःख को हस के सहना,
दीवानगी में तेरी,
दीवानगी में तेरी,
खुद को भुला रहा हूँ,
जबसे मै श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ।।
काबिल नहीं था तेरे,
काबिल बनाया तूने,
पत्थर था रस्ते का,
हिरा बनाया तुमने,
अहसा तले तुम्हारे,
अहसा तले तुम्हारे,
दबता ही जा रहा हूँ,
जबसे मै श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ।।
जबसे मैं श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ,
बिन मांगे इस जहाँ की,
हर चीज पा रहा हूँ,
जबसे मै श्याम आपकी,
चौखट पे आ रहा हूँ।।