जबसे वृन्दावन में,
आना जाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया,
मैं दीवाना हो गया,
मैं दीवाना हो गया।।
दिल में राधा रानी है,
नन्दलाल है,
सतगुरु के दर का,
ये कमाल है,
वृन्दावन में अब मेरा,
ठिकाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया,
मैं दीवाना हो गया,
मैं दीवाना हो गया।।
आंसू कभी भी आँख में,
भरने नहीं देते,
चेहरे पे मेरे दर्द उभरने,
नहीं देते,
इस तरह करते है कृपा,
गुरुवर गोविन्द,
मैं टूट भी जाऊ तो,
बिखरने नहीं देंते,
जबसे वृंदावन में,
आना जाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया।।
हर तरफ मस्ती है,
राधा नाम की,
जो गाये मिल जाये झलक,
घनश्याम की,
ज़िन्दगी का ये सफर,
सुहाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया।।
अब मुझे ज़माने की,
परवाह नहीं,
जिंदगी में अब कोई भी,
चाह नहीं,
दिल मेटा वृन्दावन,
बरसाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया।।
सुबह होती है शाम होती है,
जिंदगी यूँही तमाम होती है,
जिंदगी होती है खुशनसीब उसकी,
जिसकी प्यारे के नाम होती है,
जबसे वृंदावन में,
आना जाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया।।
जबसे वृन्दावन में,
आना जाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया,
मैं राधा रानी का,
बांके बिहारी का,
दीवाना हो गया,
मैं दीवाना हो गया,
मैं दीवाना हो गया।।
स्वर – आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी।