जब टूट जाता हूँ,
गम के जमाने में,
श्यामा जू बुला लेती,
मुझको बरसाने में,
लाड़ली करती मुझे इतना प्यार,
आ जाता बैचेन दिल को करार।।
तर्ज – मिलना हमें तुमसे।
मुझे गिरने ना देती,
झट थाम लेती है,
गोदी में बिठा कर के,
आराम देती है,
लाड़ली करती मुझे इतना प्यार,
आ जाता बैचेन दिल को करार।।
मुझे रोने ना देती,
झट चुप कराती है,
आंचल में छुपा कर के,
मुझ को सहलाती है,
लाड़ली करती मुझे इतना प्यार,
आ जाता बैचेन दिल को करार।।
जीवन में अंधियारी जब,
शाम आती है,
पूनम का बन कर चांद,
श्यामा जू आती है,
लाड़ली करती मुझे इतना प्यार,
आ जाता बैचेन दिल को करार।।
जन्नत में क्या रख्खा,
सब खाक जमाने में,
कहीं और नहीं मिलता,
जो सुख बरसाने में,
लाड़ली करती मुझे इतना प्यार,
आ जाता बैचेन दिल को करार।।
जब टूट जाता हूँ,
गम के जमाने में,
श्यामा जू बुला लेती,
मुझको बरसाने में,
लाड़ली करती मुझे इतना प्यार,
आ जाता बैचेन दिल को करार।।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।
प्रेषक – अमित राजपूत।
7535035135
Very good
Bahut hi achcha