जब देखा तुझे मुरली वाले,
दोहा – हिया बिन काया सुन है,
काया सुन बिन प्राण,
प्राण स्वांस बिन सुन है,
स्वांस सुन बिन श्याम।
जब देखा तुझे मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं है,
दिल हमारा तो बस में नहीं है,
दिल हमारा तो बस में नहीं है,
अपने जलवों की मत पूछों हमसे,
जलवा कोई भी कम तो नहीं है,
जब देखा तुझें मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं है।।
देखे – जबसे देखा तुझे जाने क्या हो गया।
रूप सजते हो तुम नित नवेले,
रूप तेरा दीवाना बनाए,
जो सजाता है तुमको कन्हैया ,
वो भी आशिक तेरा कम नहीं है,
जब देखा तुझें मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं है।।
कहीं मणियों की वेणी बनी है,
कभी कलियाँ सुहानी सजी है,
लट मस्ती में श्री मुख को चूमे,
उसकी किस्मत सी किस्मत नहीं है,
जब देखा तुझें मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं है।।
देख चितवन तेरी शोख आखें,
बिन पिये ही नशा चढ़ गया है,
दिल को कैसे सम्भालूं कन्हैया ,
‘नन्दू’ बहकू अगर गम नहीं है,
जब देखा तुझें मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं है।।
जब देखा तुझे मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं है,
दिल हमारा तो बस में नहीं है,
दिल हमारा तो बस में नहीं है,
अपने जलवों की मत पूछों हमसे,
जलवा कोई भी कम तो नहीं है,
जब देखा तुझें मुरली वाले,
दिल हमारा तो बस में नहीं है।।
स्वर / रचना – नंदू जी शर्मा।