जाग जाग परले रा पंछी,
दोहा – प्रभाते सिमरण करे,
लीजे हरि रो नाम,
भूखों ने भोजन मिले,
घर पतियों ने काम।
जाग जाग परले रा पंछी,
थारी उमर ऐल गमे,
परो जाग माया रा लोभी,
अवस्था ऐल गमे।।
माता जसोदा कोन्ह जगोवे,
सुतो केम करे,
भई प्रभात भजन ऱी वेला,
पंछिड़ा चुन करे,
जाग जाग परलें रा पंछी,
थारी उमर ऐल गमे।।
आयो तो रे बंधा कवल करेने,
माया रे संग रेवे,
मीठे रे कारण मोह लगायो,
जीव थारो जाल में पड़े,
जाग जाग परलें रा पंछी,
थारी उमर ऐल गमे।।
पाँव दिया बन्दा हलण चलण ने,
कर सुं दान करे,
जिब्या दिनी थने भजन करण ने,
श्रवण ज्ञान सुणे,
जाग जाग परलें रा पंछी,
थारी उमर ऐल गमे।।
चादर देख म्हे शरणों लिनो,
जामण ज्यूँ ही रवे,
अटल भोम म्हाने गुरु जी बताई,
बैठो केम करे,
जाग जाग परलें रा पंछी,
थारी उमर ऐल गमे।।
चादर देख ने शरण में आया,
शरणों में ध्यान धरे,
केवे रे प्राग स्वामी हाजर रेहणा,
दुर्गम राम मिले,
जाग जाग परलें रा पंछी,
थारी उमर ऐल गमे।।
जाग जाग परलें रा पंछी,
थारी उमर ऐल गमे,
परो जाग माया रा लोभी,
अवस्था ऐल गमे।।
प्रेषक – दिनेश पांचाल बुड़ीवाड़ा
8003827398