जग रूठे मेरा साँवरिया,
सरकार ना रूठे,
जियूँ मैं जब तक,
श्याम तेरा दरबार ना छूटे,
जग रूठे मेरा सांवरिया,
सरकार ना रूठे,
जियूँ मैं जब तक,
श्याम तेरा दरबार ना छूटे।।
बस तेरे भरोसे पर मैंने,
अपनी ये नाव चलायी है,
लाखों तूफान आए लेकिन,
मेरी नाव ने मंज़िल पाई है,
हाथों से तेरे मेरी पतवार ना छूटे,
जियूँ मैं जब तक,
श्याम तेरा दरबार ना छूटे।।
जब जब भी ठोकर खाकर के मैं,
चलते चलते गिर जाता हूँ,
उस वक़्त भी अपने पास खड़ा,
मैं श्याम तुम्हें ही पाता हूँ,
तुझसे जुड़ा जो तार,
कभी वो तार ना टूटे,
जियूँ मैं जब तक,
श्याम तेरा दरबार ना छूटे।।
बस एक तमन्ना जीवन की,
हर जनम में तेरा साथ मिले,
हर हाल में मैं खुश रह लुँगा,
गर श्याम धणी तेरा प्यार मिले,
श्याम नाम की मस्ती,
किस्मत वाला लूटे,
जियूँ मैं जब तक,
श्याम तेरा दरबार ना छूटे।।
जग रूठे मेरा साँवरिया,
सरकार ना रूठे,
जियूँ मैं जब तक,
श्याम तेरा दरबार ना छूटे,
जग रूठे मेरा सांवरिया,
सरकार ना रूठे,
जियूँ मैं जब तक,
श्याम तेरा दरबार ना छूटे।।
स्वर – विकास कपूर जी।
प्रेषक – पण्डित रीता गौतम।
श्री श्याम सखा मण्डल खैर (अलीगढ़)