जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे,
मोटी ये सेठाणी म्हारी,
नारायणी कुहावे,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
तर्ज – कौन दिशा में।
झुंझन वाली मावडी को,
जो भी लाड़ लड़ावेगो,
सुख सम्पति धन वैभव यश,
वो जीवन भर पावेगो,
मंगल करणी मंगल करसी,
मंगल करणी मंगल करसी,
घर में धन ना समावेगो,
दादी की किरपा,
उन पे बरसती,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
नारायणी की छवि,
है अति प्यारी,
ममता नैनो से छलक रही,
जितनो निहारूँ,
मुखडो यो प्यारो,
प्यास नैना की नाही बुझ रही,
प्यास बुझा दो दरश करा दो,
प्यास बुझा दो दरश करा दो,
‘रेणु बबिता’ बलिहार से,
थारी ही सेवा में,
सारी उमर गुजारूं,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे,
मोटी ये सेठाणी म्हारी,
नारायणी कुहावे,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठानी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
स्वर – बबीता जी विश्वास।