जहिया से चली गइले,
छोड़ अयोध्या,
नगर भाईल सुनसान हो,
जा ऐ विधना ऐ का भई,
वन चले गएली सियाराम हो।।
वनवा में ऊ कैसे रहत होई है,
कुश के चटाईया पे सोवत होई है,
कैसे के सोवत होई है सीता महारानी,
सोच सोच बानी परेशान हो,
जा ऐ विधना ऐ का भई,
वन चले गएली सियाराम हो।।
माई के दुलार बिना कैसे ऊ रही है,
भैया भरत के ऊ कैसे समझाई हैं,
मडई में रहत होई है छोड़ के महालिया,
जिंदगी भइल वीरान हो,
जा ऐ विधना ऐ का भई,
वन चले गएली सियाराम हो।।
जहिया से चली गइले,
छोड़ अयोध्या,
नगर भाईल सुनसान हो,
जा ऐ विधना ऐ का भई,
वन चले गएली सियाराम हो।।
भजन प्रेषक – बबलू साहू।
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