लफ लफ जीभ निकाली मैया,
लाल लहू खप्पर में भरे,
काल नाशनी काली मैया,
जय काली कल्याण करे,
जय काली कल्याण करें।।
तीन नेत्र त्रिपुरारी जैसे,
रुण्ड मुण्ड गल माला,
गौर वरण एक रूप साथ में,
एक रूप है काला,
एक रूप तेरा मोहित करता,
एक रूप को देख डरे,
काल नाशनी काली मैया,
जय काली कल्याण करें।।
समर भूमी में नाच रही है,
बन कर के महाकाली,
असुर मर्दनी मात भवानी,
पिये लहू की प्याली,
रक्त बीज का बीज मिटाके,
भूमि का माँ भार हर,
काल नाशनी काली मैया,
जय काली कल्याण करें।।
लट बिखराई खड्ग उठाई,
धधक रही है ज्वाला,
मां को मनाने को आया है,
डम डम डमरू वाला,
निकली जीभ खडग आसन में,
रह गईं हाथ त्रिशूल धरे,
काल नाशनी काली मैया,
जय काली कल्याण करें।।
कलयुग में अब भरना खप्पर,
भोले ने वरदान दिया,
विनती करके शिव शम्भू ने,
महाकाली को शांत किया,
कहे ‘बेनाम’ महाकाली मां,
भक्तों की सब विपत हरे.
काल नाशनी काली मैया,
जय काली कल्याण करें।।
लफ लफ जीभ निकाली मैया,
लाल लहू खप्पर में भरे,
काल नाशनी काली मैया,
जय काली कल्याण करे,
जय काली कल्याण करें।।
गायक / प्रेषक – उदय लकी सोनी।
9131843199
काली माँ आरती यहाँ देखे – मंगल की सेवा।