जल में तो डूबी नाव,
नावडीयो काई रे करे।
दोहा – कबीर सब जग निरधना,
तो धनवंता ना कोई,
धनवंता सो ही जानीयो,
ज्यारो राम रतन धन होय।
जल में तो डूबी नाव,
नावडीयो काई रे करे,
अरे जल में तो डुबी नाव,
नावडीयो कोई करे,
दौडू दिन ने रात,
सायब मारो छेटी पडे रे ओ जी।।
सुआ ने चकमो एक,
पिंजरा में आय मिले,
सुआ ने चकमो एक,
पिंजरा में आय मिले,
अरे सुआ ने ले गया उडाय,
चपाजी ऊबा रे चूरे ए ओ जी।।
अरे सोनी शराबी एक मान,
थारा बिनज करे,
अरे सोनी शराबी एक मान,
थारा बिनज करे,
अरे सोनी ने ले गया उठाय,
शराबी लारे ऊबा रे चूरे ए ओ जी।।
अरे काया मे घुस गया चोर,
वेदजी काई रे करे,
अरे काया मे घुस गया चोर,
वेदजी काई रे करे,
अरे काया ने लेगया चोर,
वेदजी ऊबा रे चूर ए ओ जी।।
अरे बडा राजवी फौज,
शहरीया मे दोली फिरे,
अरे बडा राजवी फौज,
शहरीया मे दोली फिरे,
अरे बोलीया है दास कबीर,
संत मारा स्वर्गा चढे ए ओ जी।।
जल में तो डुबी नाव,
नावडीयो काई रे करे,
अरे जल में तो डुबी नाव,
नावडीयो कोई करे,
दौडू दिन ने रात,
सायब मारो छेटी पडे रे ओ जी।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818