जाने क्या जादू भरा हुआ,
भगवान तुम्हारी गीता में,
मन चमन हमारा हरा हुआ,
घनश्याम तुम्हारी गीता में,
जाने क्या जादू भरा हुआ।।
तर्ज – श्यामा आन बसों वृन्दावन में।
गीता ग्रंथो से न्यारी है,
श्रुति जुगति अनुभवकारी है,
गीता ग्रंथो से न्यारी है,
श्रुति जुगति अनुभवकारी है,
युग युग का अनुभव जुड़ा हुआ,
घनश्याम तुम्हारी गीता में,
जाने क्या जादू भरा हुआ।।
जब शोक मोह से घिर जाते,
तब गीता वचन हृदय लाते,
जब शोक मोह से घिर जाते,
तब गीता वचन हृदय लाते,
कल्याण खजाना भरा हुआ,
श्री कृष्ण तुम्हारी गीता में,
जाने क्या जादू भरा हुआ।।
गीता संतो का जीवन है,
गंगा के सम अति पावन है,
शरणागति अमृत भरा हुआ,
भगवान तुम्हारी गीता में,
विज्ञान ज्ञान रस भरा हुआ,
श्री कृष्ण तुम्हारी गीता में,
हरी प्रेम लबालब भरा हुआ,
घनश्याम तुम्हारी गीता में,
जाने क्या जादू भरा हुआ।।
जाने क्या जादू भरा हुआ,
भगवान तुम्हारी गीता में,
मन चमन हमारा हरा हुआ,
घनश्याम तुम्हारी गीता में,
जाने क्या जादू भरा हुआ।।
स्वर – श्री सत्यनारायण तिवारी।
बहुत ही सुन्दर भजन है, और गीता पर आधारित है तो निश्चित ही आदरणीय एवं आदर्शमय है।
स्वर तो “गंगा के सम अति पावन” है।