जाने क्यों लोग यहाँ पर,
जमा होते है।
तर्ज – जाने क्यूँ लोग।
जाने क्या बात है,
चांदनी रात में,
श्याम दरबार में,
जाने क्यूँ लोग यहाँ पर,
जमा होते है।।
शहनाई बजती है,
नगाड़े बजते है,
श्रृंगार होता है,
खड़ताल बजते है,
रौशनी होती है,
चांदनी होती है,
दरबार में बड़ी जोर से,
जयकार होती है,
कोई ना कोई बात है,
श्याम दरबार में,
ग्यारस की रात में,
एक से एक चमत्कार,
यहाँ होते है,
जाने क्यूँ लोग यहाँ पर,
जमा होते है।।
सुनवाई होती है,
दरबार में इनके,
इंसाफ होता है,
दरबार में इनके,
काम बन जाते है,
रोग मिट जाते है,
सुमिरण तेरा करने से,
पापी भव तर जाते है,
कैसी करामत है,
इनकी क्या बात है,
मेरी क्या औकात है,
इनके दानो की महिमा,
तो देव गाते है,
जाने क्यूँ लोग यहाँ पर,
जमा होते है।।
हारे को जिताते हो,
गिरते को उठाते हो,
भटके हुए प्राणी को,
रस्ता दिखलाते हो,
हाथ पकड़ते हो,
गोद में बिठाते हो,
कहता ‘बबली’ बाबा,
तुम उनके भाग्य जगाते हो,
ये ही तो बात है,
ये ही करामत है,
बाबा मेरे साथ है,
इसलिए लोग यहाँ पर,
जमा होते है।।
जाने क्या बात है,
चांदनी रात में,
श्याम दरबार में,
जाने क्यों लोग यहाँ पर,
जमा होते है।।
Singer – Chaman Lal Ji Garg