जपले हरी नाम नादान,
काहे इतना करे गुमान।।
बालपन हस खेल गंवाया,
गोरे तन को देख लुभाया,
भुला सबकुछ हुआ जवान,
काहे इतना करे गुमान,
जपलें हरी नाम नादान,
काहे इतना करे गुमान।।
आया बुढ़ापा रोग सतावे,
हाथ पैर गर्दन हिल जावे,
तेरी बदल गई वो शान,
काहे इतना करे गुमान,
जपलें हरी नाम नादान,
काहे इतना करे गुमान।।
जप तप तूने दान किया ना,
मालिक का कभी नाम लिया ना,
सदा बना रहा हैवान,
काहे इतना करे गुमान,
जपलें हरी नाम नादान,
काहे इतना करे गुमान।।
राह मोक्ष की चुन ले बन्दे,
छोड़ जगत के गोरख धंधे,
धरले नारायण का ध्यान,
काहे इतना करे गुमान,
जपलें हरी नाम नादान,
काहे इतना करे गुमान।।
जपले हरी नाम नादान,
काहे इतना करे गुमान।।