जरा सामने तो आओ छलिये,
छुप छुप छलने में क्या राज़ है,
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा,
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है,
जरा सामने तो आओ छलिये।।
हम तुम्हें चाहे तुम नहीं चाहो,
ऐसा कभी ना हो सकता,
पिता अपने बालक से बिछुड़ के,
सुख से कभी ना सो सकता,
हमें डरने की जग में क्या बात है,
जब हाथ में तिहारे मेरी लाज है,
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा,
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है,
जरा सामने तो आओ छलिये।।
प्रेम की है ये आग सजन जो,
इधर उठे और उधर लगे,
प्यार का है ये तार पिया जो,
इधर सजे और उधर बजे,
तेरी प्रीत पे बड़ा हमें नाज़ है,
मेरे सर का तू ही रे सरताज है,
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा,
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है,
जरा सामने तो आओ छलिये।।
जरा सामने तो आओ छलिये,
छुप छुप छलने में क्या राज़ है,
यूँ छुप ना सकेगा परमात्मा,
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है,
जरा सामने तो आओ छलिये।।