जाति रो कारण है नहीं संतो,
दोहा – नीच नीच सब तर गये,
संत चरण लवलीन,
जाति के अभिमान में,
डूबे कई कुलीन।
जाति रो कारण है नहीं संतो,
सिंवरे ज्या रो साईं है,
सिंवर सिंवर निर्भय हुआ,
देव दर्शया घट माहि।।
अठ्ठासी हजार ऋषि तपता,
एके वन रे माहि,
भेली तपती शबरी भीलनी,
उण में अंतर नाहि,
जाति रो कारण है नही संतो,
सिंवरे ज्या रो साईं।।
यज्ञ रचायो पांचु पांडवा,
हस्तिनापुर माहि,
वाल्मीक सरगरों शंख बजायो,
जाति कारण नाहि,
जाति रो कारण है नही संतो,
सिंवरे ज्या रो साईं।।
नीची जाति चमार री,
गुरु किया मीरा बाई,
राणोजी परचो माँगियो,
कुण्ड में गंग दिखाई,
जाति रो कारण है नही संतो,
सिंवरे ज्या रो साईं।।
रामदास सिंवरे राम ने,
खेडापे माहि,
राजा प्रजा बादशाह,
सब ही शीश निवाई,
जाति रो कारण है नही संतो,
सिंवरे ज्या रो साईं।।
जाति रो कारण है नही संतो,
सिंवरे ज्या रो साईं है,
सिंवर सिंवर निर्भय हुआ,
देव दर्शया घट माहि।।
गायक – अनिल नागोरी।
प्रेषक – मीत राज पुरोहित।
8209587599