जवानी में मुझे पाला,
बुढ़ापे में निकाला है,
भटकती मैं फिरूं दर दर,
ना खाने को निवाला है,
जवानी में मुझें पाला,
बुढ़ापे में निकाला है।।
तर्ज – मुझे तेरी मोहब्बत का।
था दम खम जब तलक मुझमे,
बहाई दूध की धारा,
बुढ़ापे ने ज्यूँ दस्तक दी,
गया है सुख थन सारा,
कोई अब हाल ना पूछे,
किसी ने ना संभाला है,
भटकती मैं फिरूं दर दर,
ना खाने को निवाला है,
जवानी में मुझें पाला,
बुढ़ापे में निकाला है।।
फिरूं भूखी भटकती मैं,
ना भोजन है ना चारा है,
जहाँ जो भी मिला मुझको,
वही मुंह मैंने मारा है,
मेरे अपनों ने ही मुझको,
मुसीबत में यूँ डाला है,
भटकती मैं फिरूं दर दर,
ना खाने को निवाला है,
जवानी में मुझें पाला,
बुढ़ापे में निकाला है।।
मुझे माता जो कहते थे,
कहाँ गुम हो गए सारे,
भुला मुझको क्यों बैठे है,
मेरी वो आँख के तारे,
‘हर्ष’ उनको जरा सोचो,
कभी मैंने ही पाला है,
भटकती मैं फिरूं दर दर,
ना खाने को निवाला है,
Bhajan Diary Lyrics,
जवानी में मुझें पाला,
बुढ़ापे में निकाला है।।
जवानी में मुझे पाला,
बुढ़ापे में निकाला है,
भटकती मैं फिरूं दर दर,
ना खाने को निवाला है,
जवानी में मुझें पाला,
बुढ़ापे में निकाला है।।
Singer – Atul Krishna Ji