जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते,
हरि हिय कमल विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते,
जय भगवत गीते।।
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि,
कामासक्तिहरा,
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,
विद्या ब्रह्म परा,
जय भगवत गीते।।
निश्चल-भक्ति-विधायिनि,
निर्मल मलहारी,
शरण-सहस्य-प्रदायिनि,
सब विधि सुखकारी,
जय भगवत गीते।।
राग-द्वेष-विदारिणि,
कारिणि मोद सदा,
भव-भय-हारिणि तारिणि,
परमानन्दप्रदा,
जय भगवत गीते।।
आसुर-भाव-विनाशिनि,
नाशिनि तम रजनी,
दैवी सद् गुणदायिनि,
हरि-रसिका सजनी,
जय भगवत गीते।।
समता त्याग सिखावनि,
हरि-मुख की बानी,
सकल शास्त्र की स्वामिनी,
श्रुतियों की रानी,
जय भगवत गीते।।
दया-सुधा बरसावनि,
मातु कृपा कीजै,
हरिपद-प्रेम दान कर,
अपनो कर लीजै,
जय भगवत गीते।।
जय भगवत गीते,
जय भगवत गीते,
हरि हिय कमल विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते,
जय भगवत गीते।।
स्वर – अनूप जलोटा जी।
प्रेषक – मालचन्द शर्मा जी।
9166267551
Good bhajan