जय गोविंदा गोपाला,
मन मोहन श्याम कन्हैया,
मुरली धर गोपाला,
घनश्याम नंद के लाला।।
जग पालक तू रास रचइया,
गोवर्धन गिरिधारी,
कितने नाम तेरे नटवर तू,
सावल कृष्ण मुरारी,
मोर मुकुट मनहर लेवत,
बलिहारी हर ब्रजबाला,
मुरली धर गोपाला,
घनश्याम नंद के लाला।।
तू ही सागर में बसता,
तू ही धरती पाताल,
जल में नभ में और जगत में,
तेरी जय जयकार,
मेरे मन मंदिर मे स्वामी,
तुझसे ही उजियाला,
मुरली धर गोपाला,
घनश्याम नंद के लाला।।
जिसका कोई नही इस जग में,
उसका मीत कन्हैया,
बंसी बजईया रास रचइया,
काले नाग नथइया,
राजा हो या दीन भिखारी,
सबका तू रखवाला,
मुरली धर गोपाला,
घनश्याम नंद के लाला।।
जय गोविंदा गोपाला,
मन मोहन श्याम कन्हैया,
मुरली धर गोपाला,
घनश्याम नंद के लाला।।
गायक / प्रेषक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
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