जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया,
हर तरफ तू ही तू है समाया,
धन्य तेरी है तेरी ही माया,
जय हो जय हो महाकाँल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया।।
तुमने देवो को अमृत दिया है,
आपने खुद ही विष को पिया है,
देवताओं का मान बडाया,
सागरमंथन के विष से बचाया,
जय हो जय हो महाकाँल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया।।
वरदानी हो भोले कैलाशी,
डमरू वाले है काशी के वासी,
गले सर्पो का हार सजाया,
सर भभुति का टीका लगाया,
जय हो जय हो महाकाँल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया।।
भोले जिसने भी तुमको पुकारा,
तुमने उनको दिया है सहारा,
सारे भगतो का कष्ट मिटाया,
तेरे चरणो में ‘शिवाजी’ आया,
जय हो जय हो महाकाँल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया।।
जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया,
हर तरफ तू ही तू है समाया,
धन्य तेरी है तेरी ही माया,
जय हो जय हो महाकाँल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया।।
गायक / प्रेषक – शिवाजी पाटिल।
8819041006