जय हो श्याम सिंगोली वाला,
खोलो बंद किसमत रा ताला,
थाने वंदन छेल छोगाला,
अरजी सुण लिज्यो,
हो अरजी सुण लिज्यो।।
केसर बरणो रूप सुहावे,
हिरो डाडी रो मन भावे,
सोहनी मुरत या मुस्कावे,
अरजी सुण लिज्यो,
हो अरजी सुण लिज्यो।।
सावली सुरतिया मन भावे,
तुर्रा पागा में बल खावे,
मुरली अधर धरा मन भावे,
अरजी सुण लिज्यो,
हो अरजी सुण लिज्यो।।
मंदिर सिंगोली में भारी,
दर्शन आवे है नर नारी,
ठाकुर दर्शन है हीतकारी,
अरजी सुण लिज्यो,
हो अरजी सुण लिज्यो।।
थारो देव लिख लिख गावें,
अरजी श्याम ने सुणावे,
भजन ये भगता रे मन भावे,
अरजी सुण लिज्यो,
हो अरजी सुण लिज्यो।।
जय हो श्याम सिंगोली वाला,
खोलो बंद किसमत रा ताला,
थाने वंदन छेल छोगाला,
अरजी सुण लिज्यो,
हो अरजी सुण लिज्यो।।
गायक – देव शर्मा आमा।
8290376657