जय जय हे गणपति तुम्हारी,
तीनों लोक में सबसे पहले,
होती पूजा तुम्हारी,
जय जय हें गणपति तुम्हारी।।
तुम रिद्धि सिद्धि के दाता,
तुम्हीं सबके भाग्य विधाता,
तुम देवों के देव हो दाता,
अद्भुत महिमा तुम्हारी,
जय जय हें गणपति तुम्हारी।।
लड्डू का प्रिय भोग तुम्हारा,
वाहन मूषक का अति प्यारा,
जो भी आता शरण तुम्हारी,
पाए कृपा तुम्हारी,
जय जय हें गणपति तुम्हारी।।
लालन का सुख वांझन पाए,
अंधा नैनों का सुख पाए,
सेवक ‘शिव’ चरणों का दाता,
चाहे सेवा तुम्हारी,
जय जय हें गणपति तुम्हारी।।
जय जय हे गणपति तुम्हारी,
तीनों लोक में सबसे पहले,
होती पूजा तुम्हारी,
जय जय हें गणपति तुम्हारी।।
लेखक / प्रेषक – शिव नारायण जी वर्मा।
संपर्क – 7987402880