जय जय हो गणेश,
काटो हमरे कलेश,
आयीं शरण तिहारी बलिहारी हो,
जय गणपति विजय हमारी हो।।
जो कोई तेरी करें आरती,
मनवांछित फल पावे,
लम्बोदर तुम सबसे पहले,
उस का काम बनावे,
जय गिरजा के लाल,
काटो हमरे कलेश,
आयीं शरण तिहारी बलिहारी हो,
जय गणपति विजय हमारी हो।।
रिद्धि-सिद्धि के आप है दाता,
जग के पालनहारी,
कदम्ब तुम्हारी होती पूजा,
आये शरण तिहारी,
जय गिरजा के लाल,
काटो हमरे कलेश,
आयीं शरण तिहारी बलिहारी हो,
जय गणपति विजय हमारी हो।।
गोल-गोल मोदक के लड्डू,
तुम को भोग लगाते,
लम्बोदर तुम सबसे पहले,
उस का काम बनाते,
रिद्धि-सिद्धि के आप है दाता,
जग के पालनहारी,
कदम्ब तुम्हारी होती पूजा,
आये शरण तिहारी,
जय गिरजा के लाल,
काटो हमरे कलेश,
आयीं शरण तिहारी बलिहारी हो,
जय गणपति विजय हमारी हो।।
सिद्धविजय गजानन का,
यहाँ गूंज रहा है नारा,
नर और नारी मिलकर बाबा,
बोले जय जय कारा,
रिद्धि-सिद्धि के आप है दाता,
जग के पालनहारी,
कदम्ब तुम्हारी होती पूजा,
आये शरण तिहारी,
जय गिरजा के लाल,
काटो हमरे कलेश,
आयीं शरण तिहारी बलिहारी हो,
जय गणपति विजय हमारी हो।।
ओ तेरी तुण्ड तुण्डाला,
तेरी सूण्ड सुंडाला,
तेरी मोहनी मूरत बड़ी न्यारी हो,
जय गणपति विजय हमारी हो।।
जय जय हो गणेश,
काटो हमरे कलेश,
आयीं शरण तिहारी बलिहारी हो,
जय गणपति विजय हमारी हो।।
– भजन प्रेषक –
गोविन्द जोशी
8057612079
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