जय जय जालन्धर नाथ आपने,
बार बार बलिहारी,
महिमा है जग में भारी,
महिमा है जग में भारी।।
कनकाचल पर्वत मन्दिर थारो,
शोभा जग सु न्यारी,
कनकाचल पर्वत मन्दिर थारो,
शोभा जग सु न्यारी,
दर्शन करवा ने दूर दूर सु,
आवे नर और नारी,
आवे नर और नारी,
सारी विपदा मेटो पल में,
आप बड़ा उपकारी,
महिमा है जग में भारी,
महिमा है जग में भारी।।
जालन्धर नगरी जन्म लियो,
बंगाल तपस्या किनी,
जालन्धर नगरी जन्म लियो,
बंगाल तपस्या किनी,
जालोर नगरी धरती पावन,
जिन पर कृपा कर दीनी,
जिन पर कृपा कर दीनी,
त्यागी मोह माया दुनिया री,
कहलाया थे ब्रम्हचारी,
महिमा है जग में भारी,
महिमा है जग में भारी।।
सिरे मिन्दर री भंवर गुफा मे,
शिव रो ध्यान लगायो,
सिरे मिन्दर री भंवर गुफा मे,
शिव रो ध्यान लगायो,
योगी कहलाया जालन्धर और,
आप अमर पद पायो,
आप अमर पद पायो,
घर घर में गूंजे नाम आपरो,
साचा थे तपधारी,
महिमा है जग में भारी,
महिमा है जग में भारी।।
योगी जालन्धर आपने,
दास अशोक सुनावे,
योगी जालन्धर आपने,
दास अशोक सुनावे,
भगता रा दुखडा दूर करो,
चरना मे शिश निवावे,
चरना मे शिश निवावे है,
ओर नही आस जगत मे,
आयो शरनतिहारी,
महिमा है जग में भारी,
महिमा है जग में भारी।।
जय जय जालन्धर नाथ आपने,
बार बार बलिहारी,
महिमा है जग में भारी,
महिमा है जग में भारी।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818