जयती जयती जय काशी वाले,
काशीवाले देवघर वाले,
– श्लोक –
काशीवाले देवघर वाले भोले डमरू धारी,
काशीवाले देवघर वाले भोले डमरू धारी,
खेल तेरे है नाथ निराले शिवशंकर त्रिपुरारी।
जयती जयती जय काशी वाले,
काशीवाले देवघर वाले,
खेल है तेरे नाथ निराले,
जय शंभू जय जय शंभू,
भोले जय शंभू जय जय शंभू।।
जो भी तेरा ध्यान धरे,
उसका सुर नर मान करे,
जनम मरन से वो उभरे,
भोले चरण तुम्हारे जो धरले,
दया करो विष पीने वाले,
भक्तो जनो के तुम रखवाले,
तुम बिन नैय्या कौन संभाले,
जय शंभू जय जय शंभू
भोले जय शंभू जय जय शंभू।।
ऐसे हो औघड़ दानी,
देते हो वर मनमानी,
भसमा सुर था अभिमानी,
भसमा करने की शैतानी
तो पार्वती बन विष्णु आए
दगाबाज को मजा चखाए
भाग धतूरा फिर आप खाए
जय शंभू जय जय शंभू
भोले जय शंभू जय जय शंभू।।
अपनी विपदा किसे सुनाए,
मन में इक आशा है लाए,
श्री चरणों की धूल मिले जो,
नैन हमारे दर्शन पाए,
आस हमारी पूरी करदो,
मेरी खाली झोली भरदो,
एक नज़र मुझपे भी करदो,
जय शंभू जय जय शंभू
भोले जय शंभू जय जय शंभू।।
जो भी आया तेरे द्वारे,
जागे उसके भाग सितारे,
मैं शरणागत शरण तिहारे,
भोले शरण तिहारे शरण तिहारे,
तरु नही कोई लाखो तारे,
शर्मा को मत भूलो स्वामी,
हे कैलाशी अंतर्यामी,
ओम नमः शिव नमो नामामी,
जय शंभू जय जय शंभू
भोले जय शंभू जय जय शंभू।।
जयती जयती जय काशी वाले,
काशीवाले देवघर वाले,
खेल है तेरे नाथ निराले,
जय शंभू जय जय शंभू,
भोले जय शंभू जय जय शंभू।।
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गुरु बिन ज्ञान कहा रखा हे