जीवन की घड़ियों में,
कोई ऐसा भी पल आये,
जब श्याम निकट आये,
चरणों से लिपट जाए,
इस मन के भावों को,
बस तुम ही समझते हो,
मेरे मन के भावों को,
बस तुम ही समझते हो,
ये मन में ना रह जाए,
दिल सोच के घबराये,
जीवन की घड़ियो में।।
तर्ज – अँखियों के झरोखों से।
बरसो तुम्हारे द्वार पे,
मैं आता रहा हूँ,
इस दर को छोड़ कर कहो,
अब और कहाँ जाऊं,
एक बार जो मिल जाओ,
तड़पन मेरी मिट जाए,
जो श्याम निकट आये,
चरणों से लिपट जाए,
जीवन की घड़ियो में।।
तुम्हे पाने की खातिर,
प्रभु ये जीवन मिला है,
जन्मो की चाहतों का,
इतना ही सिला है,
पथराई ये अँखियाँ,
राह तकती ना रह जाए,
जो श्याम निकट आये,
चरणों से लिपट जाए,
जीवन की घड़ियो में।।
मेरा बस चले तो सांवरे,
मैं दौड़ा चला आऊं,
जी भर के मैं देखूं तुम्हे,
खाटू में ही बस जाऊं,
तेरी श्याम बगीची का,
ये फूल ना मुरझाये,
जो श्याम निकट आये,
चरणों से लिपट जाए,
जीवन की घड़ियो में।।
एक बार तो आओगे प्रभु,
विश्वास ये मेरा है,
दर्शन बिना ‘मुकेश’ के,
जीवन में अँधेरा है,
आ भी जाओ सांवरिया,
कहीं दम ना निकल जाए,
जो श्याम निकट आये,
चरणों से लिपट जाए,
जीवन की घड़ियो में।।
जीवन की घड़ियों में,
कोई ऐसा भी पल आये,
जब श्याम निकट आये,
चरणों से लिपट जाए,
इस मन के भावों को,
बस तुम ही समझते हो,
मेरे मन के भावों को,
बस तुम ही समझते हो,
ये मन में ना रह जाए,
दिल सोच के घबराये,
जीवन की घड़ियो में।।
Singer & Writer – Mukesh Sawariya
https://youtu.be/VmMR48hZeUI