झूलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है,
अलीन मन मोहनी मानो,
अलीन मन मोहनी मानो,
सुछवि श्रृंगार बैठे है,
झुलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है।।
युगल मुख चंद्र देखन को,
सभी आँखे चकोरी है,
सभी आँखे चकोरी है,
परसस्पर ये प्रिया प्रीतम,
परसस्पर ये प्रिया प्रीतम,
बने भरतार बैठे है,
झुलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है।।
मजे से झूलते झूला,
कभी मचकी भी लेते है,
कभी मचकी भी लेते है,
रसीली राधिका के संग,
रसीली राधिका के संग,
रसिक सरकार बैठे है,
झुलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है।।
मधुर मुस्काए सुनते है,
सरस संगीत रसिको के,
सरस संगीत रसिको के,
गुणों पे दाद भी देते,
गुणों पे दाद भी देते,
सजन दिलदार बैठे है,
झुलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है।।
कृपामय नैन कोरो से,
वे हस हस हेरते दोनों,
वे हस हस हेरते दोनों,
लता रस कांति के हिय में,
लता रस कांति के हिय में,
सकल सुख धाम बैठे है,
झुलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है।।
झूलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है,
अलीन मन मोहनी मानो,
अलीन मन मोहनी मानो,
सुछवि श्रृंगार बैठे है,
झुलन में आज सज धज के,
युगल सरकार बैठे है।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र महाराज जी।