झुंझुनू में मोटी सेठानी,
डोकवा में लाडो नारायणी,
तनधन बाबा ने जहाँ,
दिया बलिदान,
राणीसती के सत् का,
है जो प्रमाण,
देवसर धाम वो है देवसर धाम,
देवसर धाम वो है देवसर धाम।।
झुंझुनू में राणीसती दादी का,
तीर्थ स्थान बना,
गुरसामल की लाडली का,
डोकवा में धाम बना,
पर्वत के ऊपर माँ का,
भवन आलीशान,
मंदिर बना है जहाँ,
स्वर्ग समान,
देवसर धाम वो है देवसर धाम,
देवसर धाम वो है देवसर धाम।।
हाथ जोड़कर जब हमने,
देवसर की धरती से पूछा,
क्या तुमने तनधन बाबा,
और माँ नारायणी को देखा,
कैसे करू मैं सत् की,
महिमा बखान,
कण कण में बस्ता जहाँ,
दादी का नाम,
देवसर धाम वो है देवसर धाम,
देवसर धाम वो है देवसर धाम।।
इसी भूमि पर राणीसती ने,
राणा को आदेश दिया,
भक्तो अस्थि कलश में,
फिर माँ ने प्रवेश किया,
भक्ति की शक्ति को,
कोटि प्रणाम,
भक्त राणा को जहाँ,
मिला वरदान,
देवसर धाम वो है देवसर धाम,
देवसर धाम वो है देवसर धाम।।
झुंझुनू में मोटी सेठानी,
डोकवा में लाडो नारायणी,
तनधन बाबा ने जहाँ,
दिया बलिदान,
राणीसती के सत् का,
है जो प्रमाण,
देवसर धाम वो है देवसर धाम,
देवसर धाम वो है देवसर धाम।।
स्वर – सौरभ मधुकर।
भजन प्रेषक – संदीप अग्रवाल।
फोन – 9005467678