जिण घर कथा कीरत होवे,
दोहा – संत मिलन को चालिये,
तज माया अभिमान,
ज्यूं ज्यूं पग आगे धरे,
कोटी यग्य समान।
जिण घर कथा कीरत होवे,
हर री हिल मिल मंगला गावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे,
प्रथम लाभ चरणो मे लेकर,
जो कोई शीश नमावे,
अड़सठ तीरथ सतगुरु चरणे,
घरे बेठा ही गंगा नहावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे।।
ए निंदया ममता कुबद कटारी,
दुरमती दूर भगावे,
काम क्रोध पर निंदया त्यागे,
ऐड़ा उपदेश बतावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे।।
लाडू पेड़ा अमर मिठाई,
संत हरक नही लावे,
रुखा सूखा साग अलूण,
रूस रूस भोग लगावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे।।
महाप्रसाद देवो ने घणा दूर्लभ,
संत सदा ही मन भावे,
दुस्टि जीव दूर्मती हारे,
बिल्खा जन्म गमावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे।।
जाग्या भाग पूरबला संदिग,
भाग उदय हो जावे,
केवे कबीरा संतो री महिमा,
सायब यूं दरसावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे।।
जिण घर कथा कीरत होवें,
हर री हिल मिल मंगला गावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे,
प्रथम लाभ चरणो मे लेकर,
जो कोई शीश नमावे,
अड़सठ तीरथ सतगुरु चरणे,
घरे बेठा ही गंगा नहावे,
भाग ज्योरे संत पोवणा आवे।।
गायक – सुरेश लोहार।
प्रेषक – पुखराज पटेल बांटा
9784417723