जिनके हृदय में है सिया राम,
उनके निकट बसे श्री हनुमान,
सकल दुखों से देते निदान,
रक्षा स्वयं करे श्री हनुमान,
जिनकें हृदय में हैं सिया राम,
उनके निकट बसे श्री हनुमान।।
राम लक्ष्मण जानकी,
जय बोलो हनुमान की।
भक्त विभीषण के मन में,
श्री राम की ज्योति नित जलती थी,
श्री हनुमान के नयनों से वह ज्योति,
किरण जा कर मिलती थी,
देखा राम दूत हनुमान,
मुख से निकला जय श्री राम,
जिनकें हृदय में हैं सिया राम,
उनके निकट बसे श्री हनुमान।।
राम लक्ष्मण जानकी,
जय बोलो हनुमान की।
माता सीता लंका में नित,
राम नाम जपती रहती थी,
हनुमत जब मुद्रिका गिराये,
अचरज से ये सिय कहती थी,
राम जपो मिलते हनुमान,
हनुमत से हो जग कल्याण,
जिनकें हृदय में हैं सिया राम,
उनके निकट बसे श्री हनुमान।।
राम लक्ष्मण जानकी,
जय बोलो हनुमान की।
पहुँचे अयोध्या जब हनुमान जी,
बोले भरत से आए राम,
भरत जी बोले अब हुआ ज्ञान,
राम से पहले जय हनुमान,
राम वहीँ आकर के रहते,
भक्त जहाँ हनुमत के समान,
जिनकें हृदय में हैं सिया राम,
उनके निकट बसे श्री हनुमान।।
राम लक्ष्मण जानकी,
जय बोलो हनुमान की।
जिनके हृदय में है सिया राम,
उनके निकट बसे श्री हनुमान,
सकल दुखों से देते निदान,
रक्षा स्वयं करे श्री हनुमान,
जिनकें हृदय में हैं सिया राम,
उनके निकट बसे श्री हनुमान।।
Singer – Hari Om Sharan Ji
Upload By – Parivesh Jain
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