उनके जीने का ढंग निराला,
जिनके संग में सदा खाटू वाला,
जिनके संग में सदा खाटू वाला।।
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम,
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम।
भूल के अपनी हस्ती को,
लेते है श्याम की मस्ती जो,
जग की माया भूल सदा,
देखे कृपा बरसती वो,
करते जो चिंतन बाबा का,
उनकी चिंता का निकले दिवाला,
जिनके संग में सदा खाटु वाला।।
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम,
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम।
जब श्याम के प्रेमी मिलते है,
भक्ति के पुष्प ही खिलते है,
श्याम कृपा की चर्चा से,
भक्तो के संकट टलते है,
जो श्याम के प्रेमी बन जाते,
उनका रहता सदा बोलबाला,
जिनके संग में सदा खाटु वाला।।
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम,
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम।
आ छोड़ दे अपने स्वारथ को,
तू अपना ले परमारथ को,
तुझे सांवरिया अपना लेगा,
तू तज दे विषय पदारथ को,
हारे का साथी सांवरिया,
कहता ‘रोमी’ वो किस्मत वाला,
जिनके संग में सदा खाटु वाला।।
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम,
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम।
उनके जीने का ढंग निराला,
जिनके संग में सदा खाटू वाला,
जिनके संग में सदा खाटू वाला।।
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम,
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम।
स्वर / रचना – सरदार रोमी जी।